श्री विष्णु देव साय
मान. मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़
श्री विजय शर्मा
मान. उप मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़
भारत में रोजगार सेवा द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् विसैन्यीकरण (छटनी) के भार के अधीन शुरू हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद में एक ऐेसे तन्त्र की आवश्यकता महसूस की गई जो बड़ी संख्या में सेवा मुक्त किये जाने वाले सैन्य कार्मिकों और सैनिकों को सुव्यवस्थित तरीके से नागरिक जीवन में पुनः समाहित कर सके। 1947 में देश का विभाजन होने पर जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्रों को बड़ी संख्या में विस्थापित हुए लोगों को पुनः स्थापन करने के लिए कहा गया। बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए इस सेवा के कार्यक्षेत्र का धीरे-धीरे विस्तार किया गया और 1948 के शुरू तक जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र सभी श्रेणियों के आवेदकों के लिए खोल दिये गए। रोजगार सेवा के द्वारा एक पुनः स्थापना एजेंसी से बढ़कर अखिल भारतीय नियोजन का रूप ले लेने के परिणाम स्वरूप कार्य में बहुत वृद्धि हुई जिसके लिये दीर्घकालिक उपाय किये गये। जिनमें शिवाराव समिति की सिफारिशों के आधार पर संगठन का प्रशासन 1 नवम्बर 1956 से राज्य सरकारों को सौंप दिया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना उपरान्त प्रदेश में रोजगार सेवा का संचालन समस्त 33 जिलों में जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्रों के माध्यम से हो रहा है।
और देखेंक्र. | कार्यालय का नाम | संख्या |
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1. | जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र | 33 |
2. | प्रवर्तन कक्ष (CNV एक्ट 1959 के परिपालन हेतु) | 03 (रायपुर, बिलासपुर एवं जगदलपुर) |
3. | विशेष रोजगार कार्यालय, रायपुर (निःशक्तजनों के नियोजन हेतु) | 01 (रायपुर) |
4. | अध्यापन सह मार्गदर्शन केन्द्र, जगदलपुर | 01 (जगदलपुर) |